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Showing posts from May, 2019

लैला मजनू का किस्सा

ख़ुशी मिली थी मुझे

शक नही होने दिया अपनी बेबफाई का

अच्छा कौन है

कोई नहीं समझेगा मेरा गम

और लो आज मैं फिर रो गया

मुझे नहीं समझ आता यह प्यार

My first Poem

मेरी नज़रों से वो गिरने बाला है

इश्क़ का हारा

दुश्मन-ए-इश्क़ कोड़े बरसा रहे थे

दिल ही तो तोड़ा है

साया साथ छोड़ देता है

वो सोचती है पागल था

मेरी शायरी

आँखों में उम्मीद थी

My first post